Maa jag janani jay jay aarti | धर्म और भक्ति का महत्व भारतीय समाज में अत्यधिक है। इसका प्रमुख हिस्सा है पूजा और आराधना, जिसमें आरतियों का विशेष महत्व है। माँ जग जननी की आरती, जो देवी दुर्गा के समर्पण का प्रतीक है, एक ऐसी आरती है जो माँ के प्रति भक्ति और श्रद्धा का संकेत है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम माँ जग जननी जय जय आरती के महत्व और इसके शब्दों का विशेष महत्व समझेंगे।
Maa jag janani jay jay aarti | माँ जग जननी जय जय आरती: दिव्य मां के समर्पण का प्रतीक
माँ दुर्गा की महत्वपूर्ण भूमिका:
देवी दुर्गा हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं, और वह शक्ति की प्रतीक हैं। उन्हें जगदम्बा, पार्वती, और अन्य नामों से भी जाना जाता है। वे शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक हैं और उनका समर्पण आपके जीवन को सफलता और खुशी की दिशा में मार्गदर्शन करता है। माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान भारत में बड़े ही उत्साह और भक्ति के साथ की जाती है।
माँ जग जननी जय जय आरती का महत्व:
Importance of Maa jag janani jay jay aarti | माँ जग जननी जय जय आरती एक विशेष रूप से माँ दुर्गा के समर्पण का संकेत है। इस आरती के शब्द भक्त की अद्भुत भक्ति और आराधना का प्रतीक हैं। यह आरती आपको मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कविता है, और यह भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
माँ जग जननी जय जय आरती के शब्द:
माँ जग जननी जय जय आरती के शब्द दुर्गा माता की महिमा और महत्व को प्रकट करते हैं। यह आरती उनकी शक्ति और क्रोध की महत्वपूर्ण भक्ति का स्रोत है। इसके शब्द अत्यंत सुंदर और भक्तिपूर्ण होते हैं, जो देवी दुर्गा के विशेष आराधना के लिए गाए जाते हैं।
Maa jag janani jay jay aarti Lyrics in Hindi:
जगजननी जय जय, माँ जगजननी जय जय ।
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय ॥ जगजननी जय जय .. ॥
तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा॥ जगजननी जय जय .. ॥
आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥ जगजननी जय जय .. ॥
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥ जगजननी जय जय .. ॥
तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥ जगजननी जय जय .. ॥
राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा।
तू वांछाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥ जगजननी जय जय .. ॥
दश विद्या, नव दुर्गा नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥ जगजननी जय जय .. ॥
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥ जगजननी जय जय .. ॥
सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥ जगजननी जय जय .. ॥
तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥ जगजननी जय जय .. ॥
मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वरदे॥ जगजननी जय जय .. ॥
शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥ जगजननी जय जय .. ॥
हम अति दीन दु:खी माँ, विपत जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥ जगजननी जय जय .. ॥
निज स्वभाववश जननी, दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी, चरण शरण दीजै॥ जगजननी जय जय .. ॥
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Maa jag janani jay jay aarti Lyrics in English:
Jagjanani Jai Jai, Ma Jagjanani Jai Jai ।
Bhayharini, Bhavtarini, Bhavbhamini Jai! Jai ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Tu Hi Sat-chit-sukhmay Shuddh Brahmaroopa ।
Satya Sanatan Sundar Par-shiv Sur-bhoopa ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Aadi Anaadi Anmay Avichal Avinashi ।
Amal Anant Agochar Aj Anandarashi ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Avikari, Aghahari, Akal, Kaladhari ।
Kartta Vidhi, Bhartta Hari, Har Sanharkari ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Tu Vidhivadhoo, Rama, Tu Uma, Mahamaya ।
Mool Prakrti Vidya Tu, Tu Janani, Jaya ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Ram, Krishn Tu, Sita, Vrajrani Radha ।
Tu Vanchhakalpadrum, Harini Sab Badha ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Das Vidya, Nav Durga, Nanashastrakara ।
Ashtamatruka, Yogini, Nav Nav Rup Dhara ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Tu Paradhamanivasini, Mahavilasini Tu ।
Tu Hi Shmashanviharini, Tandavlasini Tu ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Sur-muni-mohini Saumya Tu Shobhadhara ।
Vivasan Vikat-sarupa, Pralayamayi Dhara ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Tu Hi Sneh-sudhamayi, Tu Ati Garalmana ।
Ratnavibhooshit Tu Hi, Tu Hi Asthi-tana ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Mooladharanivasini, Ih-par-siddhiprade ।
Kalatita Kali, Kamala Tu Varade ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Shakti Shaktidhar Tu Hi Nitya Abhedamayi ।
Bhedapradarshini Vani Vimale! Vedatrayi ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Ham Ati Deen Dukhi Ma! Vipat-jal Ghere ।
Hain Kapoot Ati Kapati, Par Balak Tere ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
Nij Swabhavavash Janani! Dayadrshti Kijai ।
Karuna Kar Karunamayi! Charan-sharan Dijai ॥
॥ Jagjanani Jai Jai.. ॥
माँ जग जननी जय जय आरती के फायदे:
- आरती का गाना और सुनना माँ दुर्गा के समर्पण का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
- इसके श्रवण से भक्त मां की कृपा को प्राप्त करते हैं और उनके दुखों का नाश होता है।
- यह आरती आपके मानसिक स्थिति को सुधारती है और आपके मन को शांति प्रदान करती है।
- यह आरती भक्तों के द्वारा उनकी आराधना के दौरान पढ़ी जाती है, जिससे उनका संबंध माँ के साथ और मजबूत होता है।
माँ जग जननी जय जय आरती हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा के समर्पण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके शब्द और म्यूजिक आपको दिव्य मां की आराधना में सहायक होते हैं और आपके जीवन को खुशी, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। माँ जग जननी जय जय आरती का गाना और सुनना हमारे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें माँ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
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